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मुगल साम्राज्य: राजा अकबर कुशल मंत्री बीरबल के उत्तर से क्यों खुश हुए?

राजा अकबर कुशल मंत्री बीरबल के उत्तर से क्यों खुश हुए?

अकबर मुगल साम्राज्य का राजा था और उसका सबसे प्रिय मंत्री बीरबल था मुगल सम्राट अकबर(Mughal Emperor Akbar) और उनके कुशल मंत्री बीरबल के बारे में अनगिनत प्रसिद्ध कहानियाँ हैं। एक बार की बात है, अकबर और बीरबल बगीचे में टहल रहे थे। अकबर ने बीरबल से प्रश्न पूछा, “बीरबल, यदि तुम्हें कभी कोई बड़ा खजाना मिल जाए तो तुम उसका क्या करोगे?”

बीरबल ने हंसते हुए कहा, “हुजूर, अगर मुझे कोई बड़ा खजाना मिलेगा तो मैं उसे तुरंत आपके पास ले आऊंगा।”

अकबर थोड़े हैरान होते हुए बोले, “क्यों? क्या तुम वह खजाना खुद नहीं रख सकते?”

बीरबल ने मुस्कुराते हुए कहा, “महाराज, मैं आपके दरबार का एक मंत्री हूं, और मेरा धर्म है कि मैं अपने राजा की सेवा पूरी निष्ठा से करूं। अगर मैं खजाना रख लूंगा, तो लोग मेरी ईमानदारी पर सवाल उठाएंगे। इसलिए, मैं हमेशा आपको ही खजाना सौंपूंगा, ताकि आप उसे सही तरीके से और न्यायसंगत रूप से इस्तेमाल करें।”

अकबर को बीरबल की बातें पूरी तरह समझ में आ गईं। वह बीरबल की ईमानदारी से बहुत प्रभावित हुए और मुस्कुराते हुए बोले, “बीरबल, आप वास्तव में मेरे सबसे प्रिय और सबसे बुद्धिमान मंत्री हैं। आपकी वफादारी और समर्पण अत्यधिक सराहनीय है।

इस घटना से अकबर को यह सीख मिली कि किसी भी व्यक्ति की सबसे बड़ी संपत्ति उसकी ईमानदारी है। बीरबल ने साबित कर दिया कि सत्य, निष्ठा और अच्छे विचार खजाने और धन से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हैं।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि न केवल अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करना, बल्कि अपने कर्तव्यों के प्रति ईमानदार और वफादार रहना ही असली विरासत है। बीरबल की समझदारी और अकबर के प्रति वफादारी हमेशा से एक आदर्श रही है।

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